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पिरिस्त्रोइका के मूल में परिवर्तन का सिद्धांत
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ सोवियत रूस के अंतिम जनरल सेक्रेटरी मिखाइल गोर्वाचोव ने कुछ समय पूर्व अमेरिकी वि

लेखकों की आर्थिक अवस्था पर विरोधाभास मत
एक सम्मानीय हिन्दी दैनिक समाचारपत्र के संपादकीय पृष्ठ पर एक टिप्पणी छपी। यह पुस्तक विमोचन कार्यक्रमो

संतोष में ही सुख है
मैं पता नहीं इस योग्य हूं भी या नहीं। शायद भाग्यवश ही तकरीबन तीन दशक पूर्व, मध्यप्रदेश की मैट्रिक पर

पुस्तक लोकार्पण के बहाने
सृजन के मूल में दुःख-दर्द के बीज होते हैं और यह पीड़ा से ही उत्पन्न होता है। अमूमन इसकी संपूर्ण प्रक

कहानियों में नयेपन के सूत्रधार
हर एक जीवन एक उपन्यास की भांति है तो मनुष्य का हर दिन एक कहानी, जहाँ हर पल कोई कथा एक नये रूप में जन

ऊपरी चकाचौंध की आधुनिक दुनिया
शहर के आधुनिक बाजार में स्थित खाने-पीने की एकमात्र दुकान विगत सप्ताह बंद हुई तो सुनकर मुझे पहले आश्च

लघुपत्रिका के बहाने राजनीतिक समझ
हिमाचल की साहित्यिक पत्रिका 'पर्वत राग' एवं पंजाब (जालंधर) की पत्रिका 'साहित्य सिलसिला' के विशेष चर्

राजनीति और बाजारवाद
प्रजातंत्र का युग है। इसी काल में बाजारवाद का सही मायने में जन्म हुआ और इसने बड़ी तेजी से पूरे विश्व

क्या भारत की जनता सब समझती है?
मुंबई आतंकवादी हमले के तुरंत बाद जनता का आक्रोश चरम पर था। मीडिया ने इसे प्रमुखता से प्रचारित प्रसार

महान आत्मा से एक मुलाकात
क्या किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उससे मिल पाना मुमकिन है? नहीं। कम से कम साक्षात् व्यक्तिगत रूप स