About Manoj Singh





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मनोज सिंह — उपन्यासकार, स्तंभकार, कवि, कहानीकार

लेखक का जन्म 1 सितंबर, 1964, आगरा (उ.प्र.) में हुआ। और बचपन महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में बीता। पिता श्री हरिमोहन सिंह एवं माता (स्वर्गीय) कृष्णा सिंह की तृतीय संतान व एकलौते पुत्र की हायर सेकेंडरी परीक्षा, मध्यप्रदेश में मैरिट में स्थान था। इंजीनियरिंग की शिक्षा रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज भोपाल से  और एम.बी.ए. की डिग्री मानव संसाधन विकास में सम्पन्न हुई ।

हिमाचल प्रदेश में पदस्थापना के समय वह लेखन की ओर प्रेरित हुए। लेखक की मान्यतानुसार  दिव्यशक्ति के कारण  ही प्रथम रचना 'चंद्रिकोत्सव' (खंड काव्य) का सृजन हुआ । यह कृति सनातन जीवनदर्शन पर आधारित है। 'चंद्रिकोत्सव' अर्थात चांदनी रात का कौमुदी महोत्सव। प्रियतमा का प्रियतम से प्रीत का संपूर्ण कालचक्र, उसकी विभिन्न अवस्थाओं का श्रंगारिक वर्णन। कालांतर में चंद्रिकोत्सव पर आधारित नृत्यनाटिका का प्रसारण दूरदर्शन पर भी हुआ।

दूसरी रचना 'बंधन', एक काल्पनिक उपन्यास, जिसमें मानसिक रोगी (स्किजोफिरनियां) से पीड़ित व्यक्ति के परिवार की व्यथा एवं उनके रिश्तों के मानवीय, पारिवारिक, सामाजिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विस्तार से सरल शब्दों में दिखाया गया है। मानसिक रोगी के परिवार की दर्दभरी कहानी में वास्तविकता का पुट देने के उद्देश्य से लेखक ने कई संबंधित अस्पतालों का भ्रमण भी किया था। इस उपन्यास पर अनेक साहित्यिक  शोध हुए। उपन्यास का अनुवाद अंग्रेजी (Eternal Bonds), पंजाबी , बंगाली और तमिल  भाषाओं में भी प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास को एक प्रमुख वेबसाइट पर सीरियल के रूप में भी प्रसारित किया गया, यह प्रयोग  अत्यधिक लोकप्रिय रहा।

लेखक ने अनेक लेख लिखे, जो प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। समसामयिक विषयों पर लिखे गए साप्ताहिक कॉलम में से  चुने हुए कुछ लेखों का संकलन ' चिंता नहीं चिंतन' और 'व्यक्तित्व का प्रभाव' पुस्तक है। 'मेरी पहचान' लेखक का कहानी-संग्रह है। यह नयी पीढ़ी को समेटते हुए नये दृष्टिकोण से लिखी गई कहानियों का संग्रह है।

उपन्यास 'कशमकश' , नारी के विकास की कहानी एवं उसका अंतहीन अंतर्द्वंद्व है, समाजशास्त्र की दृष्टि से । तीन पीढ़ियों का चित्रण। आधुनिक समाज की तकरीबन हर एक वर्ग, आयु व क्षेत्र की महिलाओं के जीवन को छूने का प्रयास। नारी के मन-मस्तिष्क का आदर्श व यथार्थ के साथ आंतरिक संघर्ष । यहां समाज का प्रतिनिधित्व करती नारी, अपने सशक्त विचारों के साथ है । इस  उपन्यास का लोकार्पण श्री नामवर सिंह के द्वारा किया गया था, जो चर्चा में रहा ।  

उपन्यास ' हॉस्टल के पन्नों से', छात्र जीवन के महत्वपूर्ण पक्ष को समाज के यथार्थ के साथ जोड़कर वर्तमान युग के कड़वे सच का प्रस्तुतीकरण है।  इसमें छात्र राजनीति के अनछुए पक्ष  भी हैं। सफलता का उल्लास  है तो असफलता की पीड़ा भी है। इस उपन्यास का लोकार्पण भोपाल के एम ए एन आई टी कॉलेज  में सैकड़ों छात्रों के बीच हुआ।

लेखक ने यात्रा वृतांत भी लिखे। ' स्वर्ग यात्रा' कश्मीर से लद्दाख तक की यात्रा है।सात दिन में, 1000 किलोमीटर का सफर, 5000 साल की यात्रा। साथ ही  इतिहास, भूगोल, संस्कृति-सभ्यता की यात्रा ।' दुबई : सपनों का शहर' पर्यटन का वंडरवर्ल्ड बनने की कहानी का ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृति एवं वाणिज्यिक विश्लेषण एवं वर्णन है ।

पुस्तक ' स्वर्ग यात्रा ' के लेखन के समय , हिमालय क्षेत्र में भ्रमण करते हुए  सिंधु नदी के तट पर , लेखक का मन अनायास ही वेद अध्ययन की ओर प्रेरित हुआ। तब से लेखक का लेखन वेद उपनिषदों के शोध पर आधारित है।  

'वैदिक सनातन हिंदुत्व : अगली सदी का एकमात्र प्रवेश मार्ग', यह पुस्तक सनातन जीवन संस्कृति  पर आधारित है।  सनातन धर्म का आधार प्रकृति है।  सनातन संस्कृति मानव को प्रकृति के साथ जोड़ती है और यही कल्याण का मार्ग है। पुस्तक आधुनिक समाज की अनेक समस्याओं का समाधान सनातन जीवन दर्शन में ढूंढ पाती है। इस पुस्तक का लोकार्पण दिल्ली के कॉन्स्टिटूशनल क्लब में विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्रीमान विष्णु सदाशिव कोकजे और तत्कालीन संचार मंत्री श्रीमान मनोज सिन्हा के कर कमलों से हुआ।

' मैं आर्यपुत्र हूँ -विश्व के प्रथम सभ्य मानव समूह की प्रामाणिक कथा' , शोध आधारित एक महत्वपूर्ण कृति है।  यह पुस्तक आर्यों की सम्पूर्ण जीवन कथा है। आर्यों के संदर्भ में फैलाये गए अनेक भ्रमों  को,  यह पुस्तक वेदों के प्रमाण के माध्यम से  दूर करती है।  यह इस मत को भी नकारती है कि आर्य बाहरी थे। यह सतयुग की कथा है।  इसकी अगली कड़ी " मैं रामवंशी हूँ " और " मैं कृष्णवंशी हूँ " क्रमशः त्रेता और द्वापर युग की कथा है। ये दोनों पुस्तकें आने वाले वर्षों में प्रकाशित होंगी।  

लेखक समय समय पर  विभिन्न विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग कॉलेज, मैनेजमेंट कोर्स एवं मास-कम्युनिकेशन से संबंधित शिक्षण संस्थानों में विशेषज्ञ व्याख्यान के लिए  आमंत्रण पर जाते रहते हैं ।