About Manoj Singh
Manoj Singh — Novelist, Columnist, Motivational Speaker, Ancient History Teller
Manoj Singh was born on 1964, in Agra (Uttar Pradesh), and spent his childhood in Maharashtra and Madhya Pradesh. He is the third child and only son of Shri Harimohan Singh and (Late) Krishna Singh. He secured a position in the merit list in the Higher Secondary Examination in Madhya Pradesh. He completed his engineering education from Regional Engineering College, Bhopal, and earned an MBA degree specializing in Human Resource Development. Manoj Singh’s literary journey began during his posting in Himachal Pradesh, where he developed his writing and cultural insights. His work as a writer reflects not only his reputation in the literary world but also his identity as a ancient history teller, offering a deep understanding of ancient Indian history and culture.
Beginning of Writing
Inspired to pursue writing, Manoj Singh’s first creation was 'Chandrikotsav', a long poem (Khand Kavya) based on the Sanatan life philosophy. It beautifully describes the different stages of love between lovers in the backdrop of a moonlit night. This work was later adapted into a dance drama and broadcast on television.
Major Novels
Bandhan : 'Bandhan' is a fictional novel that portrays the struggles of a family dealing with schizophrenia. The novel provides a humane, familial, and social perspective on the mental illness. It was translated into several languages and was also serialized on a popular website.
Kashmakash : This novel highlights the internal conflicts and growth of women across three generations, portraying the realities and struggles of women in society.
Hostel Ke Pannon Se : This novel delves into the reality of student life, including unexplored aspects of student politics. It intertwines the joys of success and the pain of failure, offering a deep connection between student struggles and societal expectations.
Travelogues
Swarg Yatra : A travelogue narrating a journey from Kashmir to Ladakh, encompassing 5000 years of history, geography, and culture along with the physical journey.
Dubai: Sapno Ka Shahar: This book analyzes the historical, geographical, and cultural transformation of Dubai into a global tourism hub.
Research-Based Works
Main Aryaputra Hoon : In this research-based book, Manoj Singh explores the life and cultural history of the Aryans, challenging many misconceptions surrounding them. The book refutes the belief that Aryans were outsiders and provides a detailed account of their influence on Indian civilization.
Main Ramvanshi Hoon : This book offers a modern interpretation of the Ramayana, emphasizing its moral, cultural, and historical significance, especially in the context of the Treta Yuga.
Sanatan Dharma: Vaidik Gateway to the Next Century : In this book, Manoj Singh presents Hinduism as a way of life in harmony with nature. He elaborates on the evolution of Vaidik civilization, discussing its practical aspects in today’s world. Topics such as Vedas, mantras, rituals, festivals, and yoga are covered comprehensively to illustrate how Sanatan Dharma provides spiritual enlightenment. This book aims to rediscover the ancient wisdom of Vedic Sanatan life to offer a viable solution for navigating the complexities of modern civilization.
Identity as a Classical History Teller
Manoj Singh’s research-based works establish him as a distinguished classical history teller. He revives ancient Indian culture and history, presenting it in a modern context. His writings explore the Vedic traditions, the life of Aryans, and epics like the Ramayana, providing readers with historical knowledge intertwined with cultural understanding.
Impact and Recognition
Manoj Singh’s work has earned him recognition as a novelist, poet, and cultural thinker. His writing reflects a profound understanding of Indian culture and its relevance to contemporary society. His works aim to find solutions to societal problems through ancient Indian wisdom. He is regularly invited to deliver motivational talks and lectures at various universities, engineering colleges, and other educational institutions, where he shares his insights on history, culture, and literature.
मनोज सिंह — उपन्यासकार, स्तंभकार, मोटिवेशनल स्पीकर, शास्त्रीय इतिहासकारमनोज सिंह — उपन्यासकार, स्तंभकार, मोटिवेशनल स्पीकर, शास्त्रीय इतिहासकार
मनोज सिंह का जन्म 1 सितंबर 1964 को आगरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ, और उनका बचपन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बीता। वे श्री हरिमोहन सिंह और (स्वर्गीय) कृष्णा सिंह की तृतीय संतान और एकलौते पुत्र हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश की हायर सेकेंडरी परीक्षा में मैरिट में स्थान प्राप्त किया। उन्होंने रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, भोपाल से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की और मानव संसाधन विकास में एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की। हिमाचल प्रदेश में अपनी पदस्थापना के दौरान, मनोज सिंह ने लेखन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को विकसित किया। उनके लेखन में न केवल साहित्यिक प्रतिष्ठा झलकती है, बल्कि एक शास्त्रीय इतिहासकार के रूप में उनकी पहचान भी उभरती है, जो प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ को प्रस्तुत करती है।
लेखन का प्रारंभ
लेखन की ओर प्रेरित होते हुए, मनोज सिंह की पहली कृति 'चंद्रिकोत्सव' (खंड काव्य) थी, जो सनातन जीवन दर्शन पर आधारित है। यह काव्य प्रियतमा और प्रियतम के प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं का श्रृंगारिक वर्णन करता है। इस कृति पर आधारित नृत्यनाटिका का प्रसारण दूरदर्शन पर भी हुआ।
प्रमुख उपन्यास
बंधन : 'बंधन' एक काल्पनिक उपन्यास है जो स्किज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार की मानवीय, पारिवारिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से व्यथा को दर्शाता है। इस उपन्यास का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया और इसे एक प्रमुख वेबसाइट पर सीरियल के रूप में भी प्रसारित किया गया।
कशमकश : यह उपन्यास नारी के विकास और उनके आंतरिक संघर्ष की कहानी है, जिसमें तीन पीढ़ियों की महिलाओं के जीवन का यथार्थ चित्रण किया गया है।
हॉस्टल के पन्नों से : इस उपन्यास में छात्र जीवन के यथार्थ और छात्र राजनीति के अनछुए पहलुओं का गहन वर्णन है। यह पुस्तक छात्रों के संघर्ष और सफलताओं को समाज के साथ जोड़ती है।
यात्रा वृतांत
स्वर्ग यात्रा : कश्मीर से लद्दाख तक की यात्रा का वर्णन, जिसमें 5000 साल की इतिहास, भूगोल और संस्कृति की यात्रा समाहित है।
दुबई: सपनों का शहर : यह पुस्तक दुबई के ऐतिहासिक, भौगोलिक, और सांस्कृतिक विकास की कहानी प्रस्तुत करती है।
शोध-आधारित कृतियाँ
मैं आर्यपुत्र हूँ : इस पुस्तक में मनोज सिंह ने आर्यों के जीवन और उनके सांस्कृतिक इतिहास को गहराई से परखा है। यह पुस्तक आर्यों के बारे में फैले भ्रमों को दूर करती है और उन्हें बाहरी मानने वाली धारणाओं को नकारती है।
मैं रामवंशी हूँ : यह पुस्तक त्रेता युग की रामायण की कथा का आधुनिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करती है। इसमें रामायण के नैतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया गया है।
वैदिक सनातन हिंदुत्व -अगली सदी का प्रवेश द्वार : इस पुस्तक में मनोज सिंह ने हिंदुत्व को प्रकृति के साथ जीवन जीने के मार्ग के रूप में प्रस्तुत किया है। वेदों, मंत्रों, संस्कारों, त्योहारों, योग और सनातन धर्म के जीवन-दर्शन पर आधारित यह पुस्तक आधुनिक समस्याओं के समाधान का एक व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करने का प्रयास करती है और वैदिक जीवन की सदियों पुरानी विरासत को पुनर्जीवित करती है, जो आज की जटिलता से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
शास्त्रीय इतिहासकार के रूप में पहचान
मनोज सिंह की शोध-आधारित कृतियाँ उन्हें एक शास्त्रीय इतिहासकार के रूप में विशिष्ट बनाती हैं। वे प्राचीन भारतीय संस्कृति और इतिहास को आधुनिक संदर्भ में पुनः जीवित करते हैं। उनके लेखन में वैदिक परंपराओं, आर्य जीवन और रामायण जैसे महाकाव्यों की व्याख्या की गई है, जो पाठकों को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समझ प्रदान करती है।