My Blog
Articles, Personal Diaries and More

समय का खेल
जीवन किसी नाटक से कम नहीं। अमूमन फिल्मों के अंत में दिखाये जाने वाली ट्रेजेडी को नाटकीय कहकर गंभीरता

राजतंत्र की सफलता का राज
शासन व्यवस्था के लंबे इतिहास में भिन्न-भिन्न प्रकार के शासकीय तंत्र हुए। सबका अपना-अपना समय काल रहा।

बौद्धिक पक्षधरता का युग
महाभारत का युद्ध क्यों हुआ? इस सवाल के जवाब में कई दृष्टिकोण होंगे और जिसके समर्थन में अपने-अपने पक्

विकास की सफेदी
पिछले दिनों दूध की शुद्धता को लेकर मीडिया में अच्छी-खासी चर्चा हुई थी। यकीनन इसने कई घरों में सनसनी

सहमा हुआ आम आदमी
यूं तो पत्रों द्वारा पाठकों की राय मिलती रहती है। और यदाकदा टेलीफोन भी आ जाते हैं। मगर यह कॉल कुछ वि

एक लंबा सफर
क्या समय का अस्तित्व है? यह एक मुश्किल सवाल है। इस मुद्दे पर विज्ञान भी अंधेरे में तीर चलाता है और अ

कोलावरी-डी
अमूमन लोकप्रियता का कोई विशेष कारण नहीं होता। हिट का कोई फिक्स्ड फार्मूला नहीं। अतः यह इस लोकोक्ति क

चमक के पीछे छिपा अंधेरा
देवानंद की मौत पर उनके प्रेम की स्वीकारोक्ति को बड़े खुले ढंग से मीडिया ने प्रकाशित किया था। जीनत अम

वर्ण व्यवस्था की चुनौती
यूं तो विश्व के हर समाज व धर्म में अपने-अपने तरह के वर्ग और जातियां हैं। मगर भारतीय समाज का संपूर्ण

मौत का बाजारीकरण
एक नजदीक के रिश्तेदार की मृत्यु पर दिल्ली जाना हुआ था। राष्ट्रीय राजधानी के किसी श्मशानघाट में जाने