My Blog
Articles, Personal Diaries and More

कल्पनाशीलता की सीमाएं
हमारे देखने और समझने की सीमायें सीमित हैं। इसीलिए ब्रह्मांड का विस्तार हमारे लिये अपरिभाषित है। बहुत

आधा खाता और आधा बनाता है
विगत सप्ताह अकस्मात ही दो-दिवसीय अमृतसर की यात्रा पर जाना हुआ था। यह पहले की यात्राओं से कुछ भिन्न स

भारतीय व्यवस्था पर व्यंग्य
विगत सप्ताह, मुंबई में रहने वाली कॉलेज के दिनों की सहपाठी ने एक मेल भेजा। इसमें एक कहानी के माध्यम स

समरथ को नाहीं दोष गुसाईं
अधिकांश लोकोक्तियां, कहावतें, मुहावरे बहुत कुछ कह जाते हैं। ये भावपूर्ण के साथ-साथ गागर में सागर की

अर्थव्यवस्था का मकड़जाल
अर्थ एवं न्याय शास्त्र में पढ़ाये जाने वाले विभिन्न सिद्धांतों को हम में से कइयों ने पढ़ा होगा। कितन

हर युग में राक्षस होंगे
विश्वभर में बिखरी तमाम प्राचीनतम सभ्यताओं के तकरीबन हर महान ग्रंथ में देवताओं के साथ-साथ राक्षसों का

प्रतिभा की परख
पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय सुर्खियों में था। किसी चुनावी राजनीति या छात्र आंदोलन को लेकर नहीं,

स्वतंत्रता का अहसास
क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं? यह प्रश्न अगर पूछा जाये तो देखने-सुनने में तो बड़ा सरल लगता है, आसा

जनसाहित्य की रचना
मुझे अकसर इस बात को जानने की उत्सुकता रहती है कि जो कुछ मैं लिख रहा हूं क्या वो पढ़ा जा रहा है? इसी

नारी विकास का एक और पक्ष
एक स्थापित एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपभोक्ता कंपनी के राज्यस्तरीय मुख्य अधिकारी से बातचीत के दौरान