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एक बार फिर बोली लगी
विगत दिवस इंसानों की एक बार फिर नीलामी हुई। दुनिया के सामने, खुले में। यह पढ़कर थोड़ा अटपटा लगता है।

स्वर्ण-जयंती समारोह
रजत-जयंती और स्वर्ण-जयंती का आयोजन। पच्चीस और पचास वर्ष। जीवन या संस्था, दोनों ही संदर्भ में, क्या व

सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन
क्या आपने कभी सड़क पर चलते हुए किसी हिंसक हमले का सामना किया है? वो भी अचानक। बिना किसी आपकी गलती के

अपने ही घर में सम्मान
सम्मान तो सम्मान ही होता है। चाहे फिर वो किसी भी स्तर का हो। यह हर किसी को चाहिए। छोटा हो या बड़ा, ग

हॉस्टल के पन्नों से
मनुस्मृति में आदिकाल से जीवन को चार आश्रम में बांटा जाता रहा है। ब्रह्मचर्र्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं

ठंड का मजा लो
पहाड़ों पर कड़ाके की ठंड में जाने का मजा ही कुछ और है। यूं तो इस मौसम को ऑफ सीजन घोषित कर दिया जाता

भ्रष्टाचार का रोग व्यवस्था की उपज
कई वरिष्ठ अधिकारियों व महत्वपूर्ण व्यक्तियों के घर, दीवाली-नये साल आदि के मौकों पर, मेहमानों का तांत

सांस्कृतिक साम्राज्यवाद
मानवीय विकासक्रम के पन्नों को पलटकर देखें तो मनुष्य के रहन-सहन, खान-पान, भाषा-लेखन में समय के साथ-सा

सामाजिक व्यवस्था के बहाने
मानव जैसे खतरनाक किस्म के जानवर को एक साथ रखना, या यूं कहें कि एक साथ रहने के लिए मजबूर करना, टेढ़ी

ओबामा की रेतीली लोकप्रियता
विगत सप्ताह हिन्दुस्तान पूर्णतः ओबामामय था। राजनीतिक गलियारों से लेकर व्यावसायिक घराने, मीडिया, यहां