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रहस्यपूर्ण मौत का सिलसिला

यूं तो जिंदगी भी कम रहस्यपूर्ण नहीं मगर ‘जीवन एक संघर्ष है’, का मूलमंत्र देकर कई बार इस कठोर तथ्य से मुंह चुरा लिया जाता है। उधर, मौत से इतना भयभीत रहते हैं कि इसके पीछे छिपे रहस्य से उलझने के प्रयास का नंबर ही नहीं आ पाता। हां, असमय मौत के होने पर बवाल व सवाल जरूर खड़े किए जाते रहे हैं। अपना संपूर्ण सामान्य जीवन जीने के बाद किसी मनुष्य के इस भौतिक दुनिया से जाने पर भी उसके नजदीकी संबंधियों का दुखी होना स्वाभाविक है। इसी कड़ी को आगे बढ़ायें तो सफल और लोकप्रिय लोगों को तो चाहने वाले आमजन भी असंख्य होते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों की असमयिक मौत कइयों को दुःख के सागर में डुबो देती है। और सिर्फ संपूर्ण समाज ही नहीं कई बार राज्य व राष्ट्र भी शोक मनाते हैं। इन विशिष्ट लोगों की मृत्यु के, समयानुसार दोषपूर्ण होने पर सार्वजनिक गुस्सा भी प्रकट होता रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। मगर सभी के मूल में भावना ही प्रधान होती है। असाध्य बीमारियों से मृत्यु का ग्रास बनना साधारण-सी बात है। इस पर किसी का जोर नहीं चलता। मगर इस पर भी अनेक बार आशंका और अस्वीकृति के साथ-साथ विरोधाभास व अपने-अपने पक्ष उभरते हैं। महान योद्धा एलेग्जेंडर की अकस्मात मौत के कारणों में कुछ एक बीमारी का नाम लिया जाता है। जवानी में हुई इस मौत को पीढ़ी दर पीढ़ियों द्वारा कभी स्वीकार नहीं किया गया। परिणामस्वरूप उसका रहस्य आज भी जिंदा है। इतने वर्षों के बाद भी आम लोगों से लेकर इतिहास के पन्नों तक में इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। यूं तो आम धारणा है कि उन्हें जहर दिया गया था मगर कुछ संवेदनशील प्रशंसक इसके लिए उसके बेहद करीबी दोस्त की मौत के सदमे को ही प्रमुख कारण मानते हैं। पता नहीं क्या सच है? जो सैकड़ों वर्ष लंबी अंधेरी समय की गुफा में दफन हो चुका है मगर दिन के उजाले में हमें आज भी परेशान करता है।

प्राचीन काल में सत्ता के गलियारों में जहर देकर मारने का षड्यंत्र एक अति प्रचलित तरीका हुआ करता था। शायद आसान था और सबूत का स्थापित होना कठिन। सुंदर विष कन्याएं इसके लिए प्रयोग में लाई जाती थीं। संभवतः यही कारण है जो चाणक्य ने चंद्रगुप्त को प्रतिदिन आहार के साथ जहर की अल्पमात्रा देकर उसकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा दी थी। यह किंवदंती ही सही मगर समकालीन समय से हमें साक्षात्कार तो कराती है। यह दीगर बात है कि इस तरह से मारने का षड्यंत्र आज भी बदस्तूर जारी है। बस फर्क इतना आया है कि तरीके आधुनिक हो गए हैं। एक और बात, लिखित इतिहास न होने के कारण पुरानी बातों पर समय के साथ कई मतों का उभरना स्वाभाविक है, जितने मुंह उतनी बातें, और यह भी एक कारण है जो ऐतिहासिक लोगों की असमयिक मौत और रहस्यपूर्ण होती चली जाती है। बात यहीं खत्म नहीं होती। इतिहास सदा जीतने वाला लिखता है, जो तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना अपना अधिकार मान लेता है। ऐसे में सर्वसाधारण का संशयपूर्ण आचरण व शंकाग्रस्त सोच कैसे गलत हो सकती है? आश्चर्य इस बात का है कि आज भी यह उतना ही सत्य है। कुछ नहीं बदला। आधुनिक काल में सशक्त मीडिया व लिखित इतिहास के बावजूद रहस्यपूर्ण मौतों का सिलसिला थमा कहां? अपनी पुरानी रफ्तार के साथ अब भी निरंतर जारी है। असल में सामर्थ्यवान का प्रभाव आज भी बरकरार है। उलटे शिखर का आकर्षण इधर प्रबल हुआ है। सत्ता पर विराजमान होने के लिए पहले से स्थापित को विस्थापित करना होता है और यही कारण है कि जो अधिकांश रहस्यपूर्ण मौत प्रभावशाली लोगों के साथ ही जुड़ी रहीं। यह भी सत्य है कि अधिकांश षड्यंत्रपूर्ण हत्याओं में मृतक के नजदीक के अपनों का हाथ नजर आया। इस नग्न तथ्य को किसी एक जाति, धर्म या वर्ग व किसी कालखंड से जोड़कर देखा जाना मूर्खता होगी। इस घृणित कर्म ने तमाम रिश्तों को कलंकित किया है। और इतिहास के हर पन्नों को खून से रंगा है। अभी ज्यादा समय नहीं बीता है, नेपाल के राजवंश में हुई सामूहिक हत्या का रहस्य हम शायद ही कभी जान पाएं। सिर्फ हत्या ही नहीं कई आत्महत्याएं भी बराबरी से रहस्यपूर्ण रही हैं। इस कड़ी में देखें तो पढ़े-लिखों द्वारा आत्महत्या करना अजीब लगता है, मगर यह भी सच्चाई है कि सबसे ज्यादा आत्महत्याएं पढ़े-लिखे समाज में ही मिलेगी। स्टीफन स्वाइग जैसे मशहूर जर्मन यहूदी लेखक का जीवन के अंतिम पड़ाव पर अचानक आत्महत्या करना समझ से परे है। ऐसा भी नहीं कि विकास और समृद्धि से इसमें कमी आयी हो। अपने को सर्वाधिक शक्तिशाली व वैभवपूर्ण मानने वाले अमेरिका में भी रहस्यपूर्ण मौतों की संख्या कम नहीं। स्वयं को नागरिक स्वतंत्रता का पक्षधर कहलाने वाले इस तथाकथित देश के महान सामाजिक चिंतक व सुधारक मार्टिन लूथर किंग की मौत की जटिलता को समझना आज भी एक पहेली है। अपने आप को दुनिया का संरक्षक दिखाने वाले इस राष्ट्र का किसी समय का सर्वाधिक प्रभावशाली कैनेडी परिवार षड्यंत्र का जबरदस्त शिकार रहा। सत्ता पर विराजमान जॉन एफ कैनेडी की हत्या कम रहस्यपूर्ण नहीं। अमेरिका को वर्तमान ऊंचाइयों तक पहुंचाने के प्रमुख प्रेरक अब्राहम लिंकन की हत्या के सदमे को इस राष्ट्र ने कैसे बर्दाश्त किया होगा? ताज्जुब तो इस बात पर होता है कि ये सभी इस दौरान अपनी लोकप्रियता के शिखर पर थे। समय के कदमताल ने कई पहलुओं को उभारा तो कई सवाल अनुत्तरित रह गए। जैसे कि मारने वाले को ही मार दिया जाना या फिर हत्यारे का संदिग्ध जीवन आदि। कैनेडी परिवार की महिला मित्र सौंदर्य की रानी मार्लिन मुनरो की प्रेम-कथा को जितना छिपाया गया उतना ही उनकी मौत रहस्यपूर्ण हो गई। अन्य स्थानों पर भी अति लोकप्रिय शासकों का अंत कई बार सामान्य और शांतिपूर्ण नहीं रहा। नेपोलियन की मौत विवादों और रहस्य से भरी रही। महान सम्राट जूलियट सीजर को जिस चालाकी से फंसाकर भरी महफिल में मारा गया, यह इतिहास के लिए सबक और अवाम को स्तब्ध करने के लिए काफी था। रोमन साम्राज्य फिर इससे जल्दी उबर नहीं पाया। आस्ट्रो हंगेरियन राजसिंहासन के उत्तराधिकारी अर्चड्यूक फ्रेंज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफिया की षड्यंत्रपूर्ण हत्या प्रथम विश्वयुद्ध के प्रमुख कारणों में से एक बन गयी। एक बार फिर इस तरह की दुर्घटनाओं को दुनिया कि किसी एक क्षेत्र में रखकर देखना पूर्वाग्रहों से प्रभावित मस्तिष्क की उपज कही जाएगी। बात सिर्फ इतनी-सी है कि जो सभ्यता-संस्कृति चर्चा में है, उसके सभी पक्षों पर अधिक बात होती है। यह कहना भी पूर्णतः उचित नहीं होगा कि षड्यंत्र सिर्फ शासन के इर्दगिर्द ही रचा जाता है। विश्व की एक पीढ़ी के बीच अति लोकप्रिय, खेल व मनोरंजन की दुनिया के ब्रूसली की मौत का आज तक कोई सुनिश्चित जवाब नहीं है। असल में क्या हुआ था? कोई नहीं जानता। ऐसे ही कुछ हादसे कुछ एक बड़े कलाकारों एवं कई अरबपतियों के साथ भी जुड़े हुए हैं। बीटल्स के संस्थापक संगीतज्ञ जॉन लेनन को होटल के नजदीक सड़क पर एक राहगीर ने गोली मार दी। जिसका मकसद आज तक उसने नहीं बताया। कह सकते हैं कि केवल सत्ता व शिखर ही नहीं बल्कि पैसा और ग्लैमर की चमक भी प्रतिद्वंद्वियों में ईर्ष्या पैदा करती है। और फिर दिल के अंदर सुलग रही आग को बुझाने का काम काली अंधेरी रात के सायों तले किया जाता है। अंधेरा हमेशा से रहस्यपूर्ण रहा है और सबको अपने अंदर समेट लेता है।

अंग्रेजी राजवंश भी इन षड्यंत्रों से अछूता नहीं। अति प्राचीनकाल में इंगलैंड के किंग विलियम-द्वितीय की मौत बाण लगने से हुई। यह अपने आपमें एक रहस्य है क्योंकि वह उस दौरान खुद शिकार पर थे। आधुनिक काल में डायना की सड़क दुर्घटना में हुई मौत कइयों को स्वीकार नहीं। अब इसे क्या कहेंगे कि विवादों में घिरे होने के बावजूद उनकी शख्सियत अंत तक चर्चित रही, तभी तो अश्रुपूर्ण विदाई ने लोगों को भावनाओं के सैलाब में बहा दिया। कालांतर में इसी दुखद घटना पर शंका और स्वयं में एक सवाल बन जाना स्वाभाविक था। और यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। एशियाई देश भी इससे अछूते नहीं। पाकिस्तान तो खैर इसके लिए सदा से चर्चा में रहा है फिर चाहे बेटी बेनजीर भुट्टो की हत्या हो या पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी। बंगला देश में शेख मुजीर्वरहमान परिवार की सामूहिक हत्या तो षड्यंत्र के मामले में पूरे क्षेत्र के लिए सदमे के समान थी जिसे आज भी समझ पाना आमजन के लिए नामुमकिन है। इस क्रूरता को क्या कहा जाए? पाकिस्तान के तानाशाह जिया-उल-हक की विमान दुर्घटना अपने आपमें एक रहस्य है। भारत भी इन षड्यंत्रों से अछूता नहीं। प्राचीन काल की कई कथाएं जन-जन में आज भी तर्क-वितर्क का विषय बनती रहती हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुभाष चंद्र बोस से लेकर स्वतंत्र भारत के निर्माण के दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय से लेकर लाल बहादुर शास्त्री की असमयिक मृत्यु को लेकर लोगों की शंकाएं बनी हुई हैं। आज भी इतने वर्षों के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर अटकलें लगायी जाती रहती हैं तो दूसरी ओर दबी जुबान से लाल बहादुर शास्त्री की मौत के लिए लोग अपनी-अपनी आशंकाएं प्रकट करते रहते हैं। समय के साथ रहस्य और गहराता चला गया है। तनिक ठहकर सोचते ही ये घटनाक्रम मन-मस्तिष्क को आज भी उद्वेलित करते हैं। इसी कड़ी में आधुनिक भारत के कई युवा नेताओं के विमान दुर्घटनाओं को भी रखा जा सकता है। इन सभी अप्राकृतिक आकस्मिक मौत पर गाहे-बगाहे कई मत अपने-अपने विश्वास व पूरी तैयारी के साथ आज भी जनचर्चा में उपस्थित हैं।

इतने विशाल संसार में आम लोगों की रहस्यपूर्ण मौत तो फिर अनगिनत होगी। और आधुनिक भौतिक सुख-सुविधा पर केंद्रित समाज में तो इसे बढ़ना ही है। जहां स्वार्थ सर्वोपरि है और हर एक कर्म अपने निज हित के लिए किया जाता है, तो एक-दूसरे को खत्म करने का सिलसिला कैसे समाप्त हो सकता है? बहरहाल, समाज ने असामान्य को सदा केंद्र में रखा। फिर चाहे वो नकारात्मक विचारधारा का नेतृत्व ही क्यूं न कर रहा हो। जीवन पर सभी का बराबरी का हक है, तभी शायद कई विवादास्पद एवं (अ)लोकप्रिय लोगों की असमयिक मौत पर भी उंगली उठाई गयी। दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन देवी की हत्या का रहस्य भारतीयों के लिए आज भी एक पहेली है।

पिछ्ले दिनों, पाकिस्तान एक असामान्य घटनाक्रम को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। इसे मीडिया ने विश्वस्तर की घटना बना डाला। शायद यह आने वाले विश्व इतिहास में दर्ज भी हो। काल एक नये रहस्यपूर्ण मौत के लिए अपना अध्याय लिख चुका है। जहां लोग ओसामा को लेकर अटकलें लगाएंगे।